फिज़िक्स एक बहुत ही रोचक विषय हें| इसकी रोचकता का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं की दुनिया का कोई एसा स्थान नही हैं जहाँ भौतिकी के नियम लागू ना होते हो|भौतिकी या फिज़िक्स वास्तव मे प्रकर्ति के गुण के अध्ययन का नाम हैं|भौतिकी बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है इसका महत्व इस कारण से है कि आज कल के युग में जबकि हम मशीनों पर बहुत अधिक निर्भर हैं तब मशीनों को समझने के लिए भौतिकी का अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण है|
आजकल जबकि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या रोबोट की बात करते हैं और कई कथा तथा फिल्मों में रोबोट को मनुष्य की भांति दिखाते हैं तब हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीनों को समझना बहुत ही आवश्यक हो जाता है आज से 50 साल पहले शायद अनपढ़ वह कहलाता है जिसे भाषा का ज्ञान नहीं हो परंतु आजकल के युग में अनपढ़ वह है जिसे प्रौद्योगिकी अर्थात टेक्नोलॉजी तथा मशीनों के उपयोग की जानकारी नहीं है जैसा कि हम जानते हैं कि हर छोटी से लेकर बड़ी वस्तु तथा कार्यकलापों में आजकल हमें कंप्यूटर तथा अन्य मशीनों की आवश्यकता पड़ती है अतएव ना होना मशीनों का ज्ञान होना ही पड़ता है|
मशीनों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए बहुत ही के का अध्ययन बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है आइए हम देखते हैं भौतिकी है क्या बहुत ही कि जिसे फिजिक्स भी कहते हैं एक विषय यह है एक ऐसा विषय है जिसके अंदर हम प्रकृति के मूलभूत सिद्धांतों का अध्ययन करते हैं यह कहना कोई अतिशयोक्ति ना होगी की यह ब्रह्मांड भौतिकी के नियमों से ही बना है भौतिकी अर्थात प्रकृति का अध्ययन हमें टेक्नोलॉजी बनाने के लिए भी प्रकृति के अध्ययन की आवश्यकता होती है क्योंकि प्रत्येक टेक्नोलॉजी प्रकृति के किसी न किसी अंग की कॉपी मात्र है हम फिजिक्स का अध्ययन करते हैं फिजिक्स में हम नियमों का अध्ययन करते हैं जिनके आधार पर हमारे दैनिक जीवन की आधारशिला रखी हुई है
मैं राहुल अग्रवाल और मेरा मन पसंदीदा विषय भौतिकी मैं आज आपको भौतिकी में अपने एक सबसे महत्वपूर्ण विषय के बारे में बताना चाहूंगा भौतिकी के अंदर सापेक्षता के सिद्धांत और मेरे बीच में एक गहरा संबंध रहा है यह कहना चाहिए की सापेक्षता के सिद्धांत ने मेरे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डाला आज से लगभग 20 वर्ष पूर्व मुझे एक मैगजीन के माध्यम से यह पता चला की समय अप सलूट नहीं है अपितु सापेक्ष है|
उसी समय पहली बार मुझे आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत का पता चला मुझे यह विषय बहुत ही रुचिकर लगा इसके कई कारण थे पहली बात तो यह है कि सापेक्षता के अनुसार समय रेस्टोरेंट्स फ्रेम पर निर्भर करता है यानी कि भूत वर्तमान और भविष्य यह सब सापेक्ष है और जो हमारे लिए भविष्य है किसी और के लिए वर्तमान मेरे भीतर बचपन से दबी हुई समय यात्रा की हो तो हिलता कुतूहल ता जाग उठी और मैंने सापेक्षता के सिद्धांत को ठीक से समझने का निर्णय लिया मैं उस समय लगभग दसवीं कक्षा का विद्यार्थी था और किसी भी पुस्तक में आइंस्टीन की सापेक्षता के सिद्धांत का वर्णन मैंने नहीं पढ़ा था परंतु बहुत शीघ्र ही मैंने यह पता लगा लिया की बीएससी प्रथम वर्ष के सिलेबस में यह है उसके साथ ही कुछ समय बाद मुझे एचसी वर्मा फिजिक्स की बुक भी मिली और उस पुस्तक के दूसरे भाग के सबसे अंतिम अध्याय में इस सापेक्षता के सिद्धांत का वर्णन था
मैंने उसे समझने का प्रथम किया तथा बीएससी प्रथम वर्ष की पुस्तक वैसे भी इस सिद्धांत को समझा मुझे यह समझ में आया की इस दांत की आवश्यकता माइकल सनन मोर ले एक्सपेरिमेंट की नेगेटिव रिजल्ट की वजह से पड़ी धीरे धीरे मैंने अन्य पुस्तकें भी पढ़ और बहुत शीघ्र ही मैंने इस सिद्धांत को आत्मसात कर लिया परंतु मुझे पता चला की इस सिद्धांत को व्यक्त करने के लिए गणित का जो ज्ञान आवश्यक है वह मेरे पास नहीं है|
देखिए अगर कोई सापेक्षता के सिद्धांत को समझना चाहता है तो उसे कुछ मूलभूत गणित और भौतिकी के नियमों का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है मैं आपको वह क्रम बताऊंगा जिससे आप अत्यंत शीघ्र ही सापेक्षता का सिद्धांत समझ सकते हैं सब सर्वप्रथम हमें जड़त्व तंत्र तथा सामान्य अध्ययन सापेक्षता के सिद्धांत का ज्ञान होना आवश्यक है उसके बाद हमें यह समझना होगा कि वह कौन-कौन से प्रयोग थे जिन्हें गैलीलियन सापेक्षता का सिद्धांत व्याख्या करने में असमर्थ रहा उनमें से एक था माइकल सन एंड मोर ले तथा गैलरी सापेक्षता के नियम electromagnetic theory
बहुत ही ठीक है गैलीलियो सापेक्षता के नियम EMT ke साथ में सामंजस्य नहीं बैठा पा रहे थे इन कारणों से ही आइंस्टीन सापेक्षता का सिद्धांत का जन्म हुआ आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत दो अवधारणाएं हैं प्रथम भौतिकी के नियम सभी जड़त्व तंत्र के लिए समान रहते हैं तथा द्वितीय प्रकाश का वेग सभी जड़त्व तंत्र में समान रहता है तथा प्रकाश के वेग से तीव्र भेद किसी का भी संभव नहीं है इन नियमों को आइंस्टीन ने लॉरेंस लॉरेंस लोरेंज के इक्वेशन की सहायता से सिद्ध किया व भौतिकी की एक मूलभूत समस्या का हल किया कालांतर में यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण बनता चला गया इसका कारण यह था कि आधुनिक समय में ऐसी अन्य बहुत सारी खोजे हुई जो आइंस्टीन की इस नियम को सत्य साबित कर रही थी
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